दशहरा पूजा करते समय ध्यान रखें ये ख़ास बात !
दशहरा पूजा की तैयारी
स्थान का चयन: पूजा के लिए एक पवित्र स्थान का चयन करें। यह जगह स्वच्छ होनी चाहिए और जहाँ लोग आसानी से इकट्ठा हो सकें।
सामग्री एकत्रित करें: पूजा के लिए निम्नलिखित सामग्री इकट्ठा करें:
- दुर्गा माता या श्री राम की मूर्ति या चित्र
- फूल (विशेषकर लाल या पीले)
- दीपक और तेल
- नैवेद्य (फलों का भोग)
- कुमकुम, चावल, और काला तिल
- अगरबत्ती और धूप
सफाई: पूजा स्थल की सफाई करें और उसे अच्छे से सजाएँ।
पूजा विधि:=
आसन का निर्धारण: पूजा स्थल पर एक आसन बिछाएँ और उस पर माता या भगवान की मूर्ति रखें।
दीप जलाना: सबसे पहले दीपक जलाएँ। यह प्रकाश और ज्ञान का प्रतीक है।
नवग्रह पूजन: यदि संभव हो तो नवग्रह पूजन करें। इसके लिए अलग-अलग वस्त्र और फल नवग्रह के लिए अर्पित करें।
मंत्र उच्चारण: भगवान की आराधना करते हुए, 'ॐ श्री रामाय नमः' जैसे मंत्रों का जाप करें। इससे आपके मन को शांति मिलेगी।
फूल चढ़ाना: देवी-देवता को फूल अर्पित करें। यह श्रद्धा का प्रतीक है।
नैवेद्य: फिर, फल और मिठाई का नैवेद्य अर्पित करें। यह भगवान को भोग लगाने का एक तरीका है।
आरती: आरती करें और भगवान के चरणों में श्रद्धा पूर्वक हाथ जोड़कर प्रार्थना करें। आरती के दौरान 'जय श्री राम' का उद्घोष करें।
सफाई और सजावट:
पूजा स्थल की सफाई करें और उसे सजाएँ। रंग-बिरंगी रुई या कपड़े से सजाएँ। दीवारों पर चित्र या बैनर लगाएँ।
2. पूजा विधि
आसन का निर्धारण:
पूजा स्थल पर एक आसन बिछाएँ और उस पर भगवान की मूर्ति या चित्र रखें।
दीप जलाना:
दीपक को पहले जलाएँ। यह प्रकाश और ज्ञान का प्रतीक है। दीप जलाने से वातावरण में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
नवग्रह पूजन:
यदि संभव हो तो नवग्रह पूजन करें। इसके लिए अलग-अलग वस्त्र, फल और फूल नवग्रह के लिए अर्पित करें। इससे ग्रहों की कृपा प्राप्त होती है।
दशहरा पूजा करते समय मंत्र का उच्चारण कैसे करें?